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कोरबा : कोहड़िया क्षेत्र में अभी भी डंप हो रही राख, भाजपा प्रत्याशी के पार्षद भाई का अहम रोल, प्रदूषण से लोग परेशान

कोहड़िया के समीप मुख्य मार्ग पर बड़े पैमाने पर राख डंप किया गया है

कोरबा। भाजपाई चाहे चीखते चिल्लाते रहें, राख को लेकर प्रोपेगेंडा करते रहें, लेकिन असलियत अब सबके सामने आ चुकी है। उनकी कलई जनता के सामने खुल चुकी है। कोरबा से दर्री मुख्य मार्ग शहर का सबसे व्यस्ततम मार्ग है। इसी मार्ग पर है भाजपा प्रत्याशी लाखलाल देवांगन के भाई का गृहग्राम कोहड़िया। इस वार्ड से लगे मुख्य मार्ग पर नरेंद्र देवांगन ने पत्र लिखकर राख पटवाया है। राख पाटने के इस खेल में पूरा का पूरा योगदान लखन लाल के भाई नरेंद्र देवांगन का है। नरेंद्र ने जाने किन कारणों से राख पाटने के लिए प्रशासन को पत्र लिखा, उनका कौन सा स्वार्थ पूरा हुआ? यह तो जांच का विषय है।

हालांकि लोगों को यह समझ भी आ रहा है, जनता को आप एक सीमा तक ही बेवकूफ बना सकते हैं। लोग अब खुलकर यह चर्चा कर रहे हैं कि भाजपा प्रत्याशी जनसंपर्क में राख के नाम पर प्रोपेगेंडा कर रहा है। तो उनके पार्षद भाई राख पाटकर शहर की आबोहवा को प्रदूषित कर रहा है। इससे दोहरा चरित्र पूरी तरह से उजागर हो चुका है। एक पत्र भी वायरल हो रहा। जिससे यह बात साबित हो चुकी है कि राख के काले कारनामों को अंजाम देने में भाजपाइयों का कितना बड़ा योगदान है।

राहगीरों का निकल रहा दम

कोहड़िया के समीप मुख्य मार्ग पर बड़े पैमाने पर राख डंप किया गया है। यह शहर का व्यस्त मार्ग है। हजारों लोग रोज यहां से सफर करते हैं। यहां से कामकाजी लोग, छात्र महिलाएं सभी बड़ी तादाद में सफर करते हैं। अब वह भाजपाइयों को कोसते हुए आगे बढ़ते हैं। यहां से गुजरने वाले एक स्थानीय निवासी का कहना है कि यह दर्री कोरबा का मेन रोड है, और इतना राख मैंने यहां पहले कभी नहीं देखा। यह उड़ कर हमारे घरों में आ रही है। मुझे पता चला है कि यहां राख पटवाने में भाजपा के पार्षद नरेंद्र देवांगन का हाथ है। उसे ऐसा नहीं करना चाहिए जनता के हितों का ध्यान रखना चाहिए।

यहां से सफर कर रहे छात्र नवरत्न कहते हैं कि मैं रोज यहां से कॉलेज जाता हूं। लेकिन बीते कुछ दिनों से यहां से सफर करना बेहद मुश्किल भरा हो गया है। स्थानीय जनप्रतिनिधियों के कारण ही राख का अम्बार लग गया है। बहुत परेशानी होती है। दुर्घटना का भी खतरा रहता है। आंख में जब राख चली जाए, तब सामने कुछ दिखाई नहीं देता। जनप्रतिनिधियों को ऐसा नहीं करना चाहिए। उन्हें व्यवस्था सुधारने की दिशा में काम करना चाहिए।

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