सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को पतंजलि (Patanjali) आयुर्वेद को आधुनिक चिकित्सा को अपमानित करके अपने आयुर्वेदिक उत्पादों को बढ़ावा देने के लिए भ्रामक विज्ञापनों को रोकने में विफल रहने के लिए अदालत के समक्ष प्रस्तुत आकस्मिक माफी हलफनामे पर फटकार लगाई। [इंडियन मेडिकल एसोसिएशन और अन्य बनाम भारत संघ और अन्य
न्यायमूर्ति हिमा कोहली और न्यायमूर्ति अहसानुद्दीन अमानुल्लाह की पीठ ने पतंजलि के इस बयान पर नाराजगी जताई कि उसकी मीडिया शाखा को इस बात की जानकारी नहीं थी कि अदालत ने कंपनी को ऐसे विज्ञापनों का प्रसारण रोकने का आदेश दिया है।
पतंजलि के प्रबंध निदेशक आचार्य बालकृष्ण द्वारा प्रस्तुत एक माफीनामे हलफनामे में उक्त बयान दिया गया था।
जस्टिस कोहली ने टिप्पणी की, “यदि यह बचाव योग्य नहीं है, तो आपकी माफ़ी काम नहीं करेगी। यह शीर्ष अदालत को दिए गए वचन का घोर उल्लंघन है। आपको यह सुनिश्चित करना होगा कि आपका जो वचन गंभीर है उसका पालन किया जाना चाहिए। हम कह सकते हैं कि हम यह स्वीकार नहीं करना चाहते कि मीडिया विभाग को पता नहीं है कि इस अदालत में क्या हो रहा है और यह एक द्वीप है। यह दिखावटी सेवा से अधिक है!… आपने दण्डमुक्ति के साथ गंभीर वचन का उल्लंघन किया। हम इसे स्वीकार करने को तैयार नहीं हैं और यह बेतुका है! आपकी माफ़ी स्वीकार करने का क्या कारण है?”
न्यायमूर्ति अमानुल्लाह ने कहा “यह सब बकवास है! आप कहते हैं ‘अगर अदालत को लगता है, आदि.हम आपके दिल में झॉक नहीं सकते! अवमानना के मामलों को इस तरह नहीं निपटाया जाता। कुछमामलों में कुछ मामलों को उनके तार्किक अंत तक ले जाना पड़ता है। इतनी उदारता नहीं हो सकती !”
सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा कि पतंजलि झूठी गवाही (अदालत से झूठ बोलने) के दोषी प्रतीत होते हैं।
पीठ ने कहा, ‘आपने कहा कि दस्तावेज संलग्न किए गए हैं, लेकिन दस्तावेज बाद में बनाए गए. यह झूठीगवाही का एक स्पष्ट मामला है! हम आपके लिए दरवाजे बंद नहीं कर रहे हैं, लेकिन हम वह सब बता रहे हैंजो हमने नोट किया है।
पीठ ने पतंजलि के संस्थापक बाबा रामदेव की भी आलोचना की, जिस तरह से उन्होंने शीर्ष अदालत द्वारापतंजलि को भ्रामक विज्ञापन प्रकाशित करने के खिलाफ चेतावनी देने के तुरंत बाद एक प्रेस कॉन्फ्रेंसआयोजित की।
रामदेव के वकील के इस जवाब से कोर्ट प्रभावित नहीं हुआ कि पीठ की आलोचना उनके लिए सबक काकाम करेगी। 19 मार्च को न्यायालय द्वारा पारित आदेश के बाद रामदेव और बालकृष्ण दोनों आज अदालत में उपस्थित थे।
अदालत ने आज यह स्पष्ट कर दिया कि उनकी व्यक्तिगत उपस्थिति को समाप्त नहीं किया गया है, औरउन्हें अगली सुनवाई पर भी अदालत के समक्ष उपस्थित होना होगा। मामले की अगली सुनवाई 10 अप्रैलको होगी, जब पतंजलि और उसके प्रबंधन को माफीनामे का बेहतर हलफनामा दाखिल करने का आदेशदिया गया है।
साभार : बार एंड बेंच