गुरुवार को देर शाम उत्तर प्रदेश की बांदा जेल में बंद मुख्तार अंसारी (Mukhtar Ansari) की कार्डियक अरेस्ट से मौत हो गई। मुख्तार को उल्टी की शिकायत और बेहोशी की हालत में रात करीब 8ः25 बजे जेल से रानी दुर्गावती मेडिकल कॉलेज लाया गया था।
9 डॉक्टर्स ने इलाज किया, लेकिन उसे बचाया नहीं जा सका। बताया जा रहा है कि बैरेक में मुख्तार अंसारी अचानक बेहोश होकर गिर गया था।
उधर, पूरे राज्य में सुरक्षा सुरक्षा बढ़ा दी गई है। वहीं, मऊ और गाजीपुर में धारा 144 लागू कर दी गई है। साथ ही बांदा में भी सुरक्षा के विशेष इंतजाम किए गए हैं। मौके पर बड़ी संख्या में पुलिसकर्मी तैनात किए गए हैं। क्ळच् मुख्यालय ने भी सतर्कता बरतने के निर्देश दिए हैं।
इससे पहले मंगलवार को मुख्तार की तबीयत बिगड़ी थी। 14 घंटे भर्ती रहने के बाद उसे डिस्चार्ज कर दिया गया था। कुछ दिन पहले ही मुख्तार अंसारी ने दावा किया था कि उसे धीमा जहर देकर मारने की कोशिश की जा रही है।
मुख्तार अंसारी 2005 से सजा काट रहा था। अलग-अलग मामलों में उसे 2 बार उम्रकैद हुई थी।
समाजवादी पार्टी ने ट्वीट किया, “पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी का इंतकाल, दु:खद। परिजनों को यह असीम दु:ख सहने का संबल प्राप्त हो।”
राजनीति में अंसारी परिवार हमेशा से ताकतवर रहा
पूर्वांचल की राजनीति में अंसारी परिवार हमेशा से ताकतवर रहा है। इसका असर मऊ, गाजीपुर, जौनपुर, बलिया और बनारस तक है। मुख्तार के दादा मुख्तार अहमद अंसारी आजादी की लड़ाई में गांधी जी के सहयोगी रहे।
नाना मोहम्मद उस्मान आर्मी में ब्रिगेडियर और महावीर चक्र विजेता थे। पिता सुभानउल्ला अंसारी पॉलिटिशियन थे जबकि रिश्ते में चाचा हामिद अंसारी उपराष्ट्रपति बने। मुख्तार अंसारी खुद भी मऊ सीट से लगातार 5 बार विधायक चुना गया।
मुख्तार पर 61 केस दर्ज थे। इनमें हत्या के 8 केस तो जेल में रहने के दौरान दर्ज हुए। मुख्तार जिस भी जेल में रहा, उसका रुतबा हमेशा बना रहा। चाहे गाजीपुर जेल हो, बांदा जेल या पंजाब की रोपड़ जेल। जेलर कोई भी हो, चली मुख्तार की ही। रिटायर्ड पुलिस अफसर और जेलर भी ये बात मानते हैं।
मुख्तार जेल से ही गैंग चलाता रहा। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने मार्च 2023 में एक शूटर की जमानत पर सुनवाई करते हुए मुख्तार गैंग को देश का सबसे खतरनाक गिरोह कहा था।